The Victory of Good over Evil In Dussehra
Dussehra falls two or three weeks prior to Diwali. Thus, it falls usually around September to October. Everyone waits for this festival eagerly. It brings great reasons to rejoice by all. The ladies prep for their pujas while the men buy crackers and more to celebrate it heartily.
Dussehra is also known as Vijayadashami in some regions of India. If we set aside the regional differences, the main events of this festival have one motto i.e. the victory of good over evil.
In other words, this festival signifies the victory of the power of good over that of the power of evil. If we look at the Hindu mythology, it says that on this day Goddess Durga removed the demon called Mahishasura from the earth. Similarly, other traditions believe that Lord Rama fought and eliminated the Demon King Ravana on this very day.
Thus, we see how both events have the same outcome. The outcome that is of light over dark, truth over lies and good over evil. Therefore, we see that while people’s belief may differ, they celebrate the very same essence throughout the country.
Dussehra Celebrations
People all over India celebrate Dussehra with immense enthusiasm, pomp, and show. The different cultures do not affect the celebrations of the festival. The spirit and zeal remain the same throughout the festival.
Furthermore, Dussehra marks Lord Rama’s victory over Demon Ravana. Thus, people enact the battle that took place between them for ten long days. This dramatic form is called Ram-Leela. People in North India act out the Ram-Leela by wearing masks and through various difference form.
Subsequently, following the Ramayana, they make giant size paperboard effigies of the three principle demons like Ravana, Meghanada, and Kumbakarna. They are then filled with explosives in order to burn them. A man plays the role of Lord Rama and shoots fiery arrows at the effigies to burn it down. People usually invite a chief guest to act as Lord Rama and burn that effigy down. This event is carried out in an open field with thousands of spectators.
People of all ages enjoy this fair. They witness the fireworks and are left mesmerized by the stunning visuals. Kids wait for the most for this event and insist on their parents to take them to see the firecrackers.
In conclusion, Dussehra carries a lot of importance in the Hindu religion. However, people from all religions witness the marvelous act of burning Ravana. It unites people as the audience is filled with people from all walks of life, and not just the Hindu religion. Most importantly, Dussehra teaches us that good always trumps evil and that light will always conquer darkness.
WISH YOU AND YOUR FAMILY FOR DUSSEHRA
दशहरा का महत्व हिन्दी मे – Importance of Dussehra in Hindi
सामान्यत: दशहरा एक जीत के जश्न के रूप मे मनाया जाने वाला त्योहार है जश्न की मान्यता सबकी अलग – अलग होती है|
आज के वक्त मे यह बुराई पर आच्छाई की जीत का ही प्रतीक है| और हमे प्रति वर्ष अपने से किसी एक बुराई को खतम कर विजय दशमी के दिन इसका जश्न मनाना चाहिए
बुराई पर अच्छाई की जीत
झूठ पर सच्चाई की जीत
अहम ना करो गुणो पर
यही है इस दिवस की सीख
दशहरा कब मनाया जाता है – Dussehra Essay In Hindi
यह आश्विन माह की शुल्क पक्ष की दशमी के दिन मनाया जाता है| नवरात्रि के नौ दिनो के बाद विजय पर्व के रूप मे दशहरा/विजयदशमी के रूप मे मनाया जाता है|
दशहरा पर्व की कहानी – दशहरा का महत्व हिंदी में
दशहरा के दिन के पीछे कई कहानियाँ है, जिनमे सबसे प्रचलित कथा है भगवान राम का युद्ध जीतना अर्थात रावण की बुराई की विनाश कर उसके घमंड को तोड़ना| राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे, उनकी पत्नी का नाम सीता था एवं उनके छोटे भाई थे जिंनका नाम लक्ष्मण था|
राम के पिता दशरथ थे| राजा दशरथ की पत्नी कैकई के कारण राम लक्ष्मण और सीता तीनों को चौदह वर्ष के वनवास के लिए अयोध्या नागरी छोड़ कर जाना पड़ा|
उसी वनवास काल के दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया| रावण महाबलशाली राजा था, जिसकी सोने की लंका थी लेकिन उसमे अपार अहंकार था| वो महान शिव भक्त था और खुद को भगवान विष्णु का दुश्मन बताता था|
वास्तव मे रावण के पिता विशर्वा एक ब्राह्मण थे एव माता राक्षक कुल की थी इसलिए रावण मे एक ब्रह्मण के समान ज्ञान था एवम एक राक्षक के समान शक्ति और इन्ही दो बातो का रावण मे अहंकार था| जिसे खत्म करने के लिए भगवान विष्णु ने रामवतार लिया था.
राम ने अपनी सीता को वापस लाने के लिए रावण से युद्ध किया और अंत मे भगवान राम ने रावण को मार कर उसके घमंड का नाश किया|
माता सीता की खोज मे किया
लंका पार
दिलाया सभी दुखियो को
विश्वाश
तोड़कर महा अहंकारी का
अहंकार
किया दुखियो का उध्दार
इसी विजय के स्वरूप मे प्रति वर्ष विजयदशमी मनाई जाती है| आज के समय मे दशहरा इन पौराणिक कथाओ को माध्यम मानकर मनाया जाता है| माता के नौ दिन की समाप्ती के बाद दसवे दिन जश्न के तौर पर मनाया जाता है|
जिसमे कई जगहो पर राम लीला का आयोजन होता है, जिसमे कलाकार रामायण के पात्र बनते है और राम – रावण के इस युद्ध को नाटिका के रूप मे प्रस्तुत करते है| कई जगहो पर इस दिन मेला लगता है जिसमे कई दुकाने एवम खाने पीने के आयोजन होते है|
इस दिन घर के सभी पुरुष एवम बच्चे दशहरे मैदान पर जाते है| वहाँ रावण, कुंभकरण एवम रावण पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करते है| उसके बाद शमी पत्र जिसे सोना चाँदी कहा जाता है उसे अपने घर लाते है|
घर मे आने के बाद द्वार पर घर की स्त्रियां अपने उनका तिलक लगाकर आरती उतारकर स्वागत करती है| माना जाता है की मनुष्य अपनी बुराई का दहन करके घर लौटा है इसलिए उनका स्वागत किया जाता है| इसके बाद वो व्यक्ति शामी पत्र देकर अपने से बड़ी के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेता है|
अगर एक पंक्ति मे कहे तो यह पर्व आपसी रिश्तो को मजबूत करने एवंम भाईचारा बढ़ाने के लिए होता है, जिसमे मनुष्य अपने मन मे भरे घर्णा एवंम बैर के मेल को साफ कर एक दूसरे से एक त्यौहार के माध्यम से मिलता है|
यह पर्व हमे एकता की शक्ति याद दिलाते है जिन्हे हम समय की कमी के कारण भूलते ही जा रहे है ऐसे मे यह त्यौहार ही हमे अपनी नीव से बांधकर कर रखते है|
दशहरे का बदलता रूप – दशहरा पर निबंध हिंदी में😀😀😀😊😊😊😊
बुराई का रूप अब भ्रष्टचार है रावण के रूप मे नेताओ का अत्याचार है देश रूपी इस लंका मे कौन राम बनेगा यहाँ तो अब बस मिलावटी व्यवहार है|
आज के समय मे त्यौहार अपनी वास्तविक्ता से अलग जाकर आधुनिक रूप ले रहे है, जिसने इसके महत्व को कही न कही कम कर दिया है| जैसे – दशहरे पर एक दूसरे के घर जाने का रिवाज था, जब ये रिवाज मोबाइल कॉल एवंम इन्टरनेट मैसेज का रूप ले चुके है|
रावण दहन के पीछे उस पौराणिक कथा को याद रख जाता था, जिससे एक संदेश सभी को मिले की अहंकार सर्वनाश करता है, लेकिन अब तरह – तरह के पटाके फोड़े जाते है, जिनके कारण फिजूल खर्च बढ़ गया है| साथ ही प्रदूषण बढ़ता जा रहा है एवम दुर्घटनाए भी बढ़ती जा रही है|
इस प्रकार आधुनिकरण के कारण त्यौहारो का रूप बदलता जा रहा है| और कही न कही आम नागरिक इन्हे धार्मिक आडम्बर का रूप मानकर इनसे दूर होते जा रहे है| इनका रूप मनुष्यो ने ही बिगाडा है|
पुराणो के अनुसार इन सभी त्यौहारो का रूप बहुत सादा था| उसमे दिखावा नहीं बल्कि ईश्वर के प्रति आस्था थी| आज ये अपनी नीव से इतने दूर होते जा रहे है की मनुष्य के मन मे कटुता भरते जा रहे है| मनुष्य इन्हे वक्त एवम पैसो की बर्बादी के रूप मे देखने लगा है
हम सभी को इस वास्तविकता को समझ कर सादगी के रूप मे त्यौहारो को मनाना चाहिए| देश की आर्थिक व्यवस्था को सुचारु रखने मे भी त्यौहारो का विशेष योगदान होता है इसलिए हमे सभी त्यौहार मनाना चाहियदशहरा का पर्व भारत के महत्वपूर्ण पर्वो में से एक है| यह त्यौहार भारत के अलग अलग हिस्से में मनाया जाता है| लेकिन उद्देश्य केवल एक ही है – अच्छाई की बुराई पर जीत|
दशहरा नवरात्री और रामलीला की अंतिम चरण और दीपावली की ख़ुशी का आरंभ माना जाता है| इस दिन स्कूल और अन्य शिक्षण संस्थानों में अवकाश रहता है|
भारत के पूर्वी हिस्से मे, खास तौर पे पश्चिम बंगाल मे, यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप मे मनाया जाता है|
नौ दिनो तक पूजा करने के बाद दसवे दिन माता दुर्गा की प्रतिमा को धूमधाम से पानी मे विसर्जीत किया जाता है| ऐसा माना जाता है की दुर्गा की दुर्गा माँ भेंसे रूपी असुर का विनाश करने और लोगों का धर्म मे विश्वाश कायम रखने आती है| पश्चिम बंगाल मे दुर्गा पूजा साल का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है|
उत्तर भारत मे यह पर्व रामलीला, जो रामायण पर आधारित एक नाटक है, के अंतिम पड़ाव के रूप मे देखा जाता है| इस दिन असुर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते है|
एक धारणा के अनुसार इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर सीता माता को आजाद करवाया था| इसलिए इस त्योहार का दूसरा नाम विजयदशमी भी है| ऐसी धारणा है की इन पुतलो के साथ सारे पाप और कलेश भी जल कर राख़ हो जाते है.
भरत के दक्षिणी हिस्से मे यह त्योहार सरस्वती पूजा के रूप मे भी मनाया जाता है|
यूं तो दशहरा रामलीला और नवरात्रि का समापन माना जाता है, लेकिन यह पर्व दिवाली के आने का संकेत भी देता है| इस तरह त्योहारो की एक श्राखला बन जाती है जो साल के अंत तक चलता है|
दशहरा पर निबंध – Dussehra Essay in Hindi For School Student
हिन्दुओ के अनेक पर्व – त्यौहार है जिनका किसी न किसी रूप मे विशेष महत्व है| इन सभी पर्वो से हमे नवजीवन, उत्साह के साथ – साथ विशेष आनंद भी मिलता है.
दशहरा भी एक ऐसा ही त्यौहार है जो सम्पूर्ण देश मे बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है| ये त्यौहार हर साल दीपावली के 20 दिन पहले सितंबर या अक्तूबर के महीने मे आता है|
आश्विन माह के शुल्क पक्ष के दसवे दिन यह त्यौहार मनाया जाता है| दशहरा को असत्य पर स्त्य की विजय के रूप मे मनाया जाता है| इसलिए इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन भगवान राम ने राक्षक रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से छुड़ाया था|
देवी दुर्गा ने इसी दिन महिसासुर को मारकर उसके अत्याचार और पापो का अंत किया था| इस दिन जगह – जगह रामलीला का आयोजन किया जाता है| दशहरे का दिन शस्त्रो, वाहनो तथा किताबों की पूजा करते है.
प्राचीन काल मे राजा इसी दिन विजय की प्रार्थना कर युद्ध के लिए निकलते थे|
मराठा रत्न शिवाजी ने भी औरंगजेव के वीरुध इसी दिन प्रस्थान करके हिन्दू धर्म का रक्षण किया था| दशहरा पर्व को मनाने के लिए जगह – जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है|
मेले मे तरह – तरह की वस्तुए, चुड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े बेचे जाते है| इस दिन रावण के पुतले जलाए जाते है| कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण के रूप धारन करते है और आग के तीर से इन पुतलो को मारते है.
पुतले पटाखो से भरे होते है, उनमे लगे पटाके फटने लगते है और उससे उनका अंत हो जाता है
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Nice content
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